
भारतीय रेलवे ने इतिहास रचने की ओर कदम बढ़ा दिया है। अब देश का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट नेटवर्क 2030 नहीं, बल्कि 2025 तक नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन का लक्ष्य हासिल करेगा। यह न सिर्फ भारत के पर्यावरणीय लक्ष्यों की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है, बल्कि यह ग्लोबल क्लाइमेट चेंज मिशन में भी भारत की अग्रणी भूमिका को दर्शाता है।
🌿 नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन का अर्थ क्या है?
नेट ज़ीरो का मतलब होता है जितनी कार्बन उत्सर्जित हो, उतनी ही किसी न किसी रूप में सोख भी ली जाए — यानी कुल कार्बन उत्सर्जन शून्य। रेलवे जैसी विशाल प्रणाली के लिए यह लक्ष्य पाना आसान नहीं है, लेकिन भारत इसे सिर्फ सपना नहीं, यथार्थ बना रहा है।
🔋 कैसे पूरा होगा यह लक्ष्य?
1. पूरी तरह से विद्युतीकरण
भारतीय रेलवे ने सभी ब्रॉड गेज लाइनों को 100% बिजली से चलाने का लक्ष्य रखा है। डीज़ल इंजन धीरे-धीरे हटा दिए जाएंगे और केवल इलेक्ट्रिक इंजन का उपयोग होगा।
2. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल
रेलवे सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्वच्छ स्रोतों से ऊर्जा लेगा। रेलवे स्टेशनों पर सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं और ट्रेन डिपो भी ग्रीन एनर्जी से संचालित होंगे।
3. एनर्जी एफिशिएंसी तकनीक
नए लोकोमोटिव अधिक फ्यूल एफिशिएंट होंगे और पुराने डिब्बों को अपग्रेड किया जा रहा है जिससे कम बिजली की खपत हो।
🌏 भारत को क्या लाभ होगा?
- पर्यावरण संरक्षण: हर साल लाखों टन कार्बन डाइऑक्साइड कम उत्सर्जित होगी।
- तेज़ और स्वच्छ यात्रा: इलेक्ट्रिक ट्रेनों की स्पीड अधिक होती है और ध्वनि प्रदूषण भी कम होता है।
- विश्व स्तर पर प्रतिष्ठा: यह पहल भारत को ग्लोबल ग्रीन लीडर के रूप में स्थापित करेगी।
🧠 क्या बोले रेलवे मिनिस्ट्री?
रेल मंत्री ने कहा है:
“भारतीय रेलवे का यह कदम न केवल पर्यावरण के लिए जरूरी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और हरित भविष्य की नींव है।”
📊 आंकड़ों में बदलाव
वर्ष लक्ष्य स्थिति 2019 आंशिक विद्युतीकरण 45% 2023 बड़े स्केल पर विद्युतीकरण 85% 2025 नेट ज़ीरो लक्ष्य 100% विद्युतीकरण + 100% ग्रीन एनर्जी