नई दिल्ली, मई 2025 — भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को ₹2.69 लाख करोड़ का रिकॉर्ड डिविडेंड देने की घोषणा की है। यह अब तक का सबसे बड़ा सरप्लस ट्रांसफर है और पिछले वर्ष की तुलना में 27.4% अधिक है। सरकार ने बजट में ₹1.02 लाख करोड़ के डिविडेंड का अनुमान लगाया था, लेकिन वास्तविक राशि इससे ढाई गुना से भी ज्यादा रही।

📊 क्या है डिविडेंड और यह क्यों दिया गया?
डिविडेंड वह राशि होती है जो RBI अपनी कमाई में से केंद्र सरकार को ट्रांसफर करता है। इसकी कमाई मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की खरीद-बिक्री, सरकारी बॉन्ड से ब्याज और अन्य वित्तीय गतिविधियों से होती है।
इस वर्ष डिविडेंड ज़्यादा होने के मुख्य कारण:
- डॉलर बिक्री से कमाई: डॉलर की बिक्री से विदेशी मुद्रा में लाभ हुआ।
- ब्याज दरों में वृद्धि: उच्च ब्याज दरों के कारण सरकारी और विदेशी बॉन्ड्स से ज़्यादा कमाई।
- लिक्विडिटी मैनेजमेंट: रेपो ऑपरेशन्स और अन्य उपायों से अच्छी कमाई हुई।
💰 सरकार को क्या लाभ होगा?
- राजकोषीय घाटा घटेगा: यह अतिरिक्त राशि सरकार के घाटे को कम करने में मदद करेगी, जिससे वित्तीय स्थिरता बढ़ेगी।
- उधारी की ज़रूरत कम होगी: सरकार को बाज़ार से कम कर्ज़ लेना पड़ेगा, जिससे ब्याज दरों पर दबाव कम हो सकता है।
- अतिरिक्त खर्च की गुंजाइश: यह पैसा इन्फ्रास्ट्रक्चर, कल्याणकारी योजनाओं और आर्थिक विकास के लिए खर्च किया जा सकता है।

🌍 अंतरराष्ट्रीय तुलना
अगर तुलना करें तो पाकिस्तान को IMF और वर्ल्ड बैंक से मिलाकर कुल लगभग ₹12,000 करोड़ की मदद मिलती है, जबकि RBI ने अकेले ही भारत सरकार को इससे 20 गुना ज़्यादा रकम बिना किसी शर्त के दे दी। यह भारत की आर्थिक मजबूती का संकेत है।
🛡️ भविष्य की तैयारी
RBI ने इस बार अपना कंटिजेंसी रिस्क बफर (आपातकालीन निधि) भी बढ़ाकर 7.5% कर दिया है। यह दिखाता है कि RBI दीर्घकालीन वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए तैयार है, भले ही वैश्विक अनिश्चितताएं बनी रहें।
📌 निष्कर्ष
RBI का ₹2.69 लाख करोड़ का डिविडेंड केवल एक संख्या नहीं है, यह भारत की आर्थिक सेहत, रिज़र्व बैंक की मजबूत नीति और सरकार की राजकोषीय योजनाओं को बल देने वाला कदम है। यह न सिर्फ सरकार को राहत देगा, बल्कि निवेशकों और बाज़ार में भी विश्वास बढ़ाएगा।