⚖️ सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अब सिविल जज बनने के लिए जरूरी है 3 साल की वकालत!
20 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि अब कोई भी लॉ ग्रेजुएट सीधे जज नहीं बन सकेगा।
अब, न्यायाधीश (सिविल जज – जूनियर डिवीजन) बनने के लिए कम से कम 3 वर्षों की वकालत का अनुभव जरूरी होगा।
📌 नियम के मुख्य बिंदु:
- 👨⚖️ 3 साल का वकालत अनुभव अनिवार्य होगा।
- 📅 अनुभव की गिनती Bar Council में एनरोलमेंट की तारीख से होगी।
- 📝 अनुभव का प्रमाणपत्र 10 साल अनुभवी वकील और जिला न्यायिक अधिकारी द्वारा सत्यापित होना चाहिए।
- 🏛️ सभी राज्य सरकारों और हाई कोर्ट्स को 3 महीने में नियम संशोधित करने के निर्देश।
🔄 पुराने नियम में क्या बदलाव हुआ?
- 2002 तक बिना अनुभव के लॉ ग्रेजुएट सीधे जज बन सकते थे।
- 1993 में पहले अनुभव जरूरी था लेकिन बाद में हटा दिया गया।
- अब 2025 के इस नए फैसले से अनुभव को फिर से अनिवार्य बना दिया गया है।
🎯 इस फैसले का असर:
फायदे | नुकसान |
---|---|
अनुभव से जज की गुणवत्ता बढ़ेगी | नए लॉ ग्रेजुएट्स को इंतजार करना पड़ेगा |
अदालत में बेहतर न्याय की उम्मीद | प्रतियोगिता में देरी होगी |
युवा अधिवक्ताओं को अनुभव मिलेगा | नए छात्रों को झटका |
📢 निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत की न्यायिक प्रणाली में अनुभव और गुणवत्ता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
हालांकि इससे नए लॉ छात्रों को थोड़ी देरी जरूर होगी, लेकिन लंबी अवधि में यह न्यायपालिका के लिए लाभकारी साबित होगा।
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